निहाल चलियावाला/सतीश जान, मुंबईसरकार अपने पॉलिसी थिंक टैंक के साथ पेट्रोल/डीजल से चलने वाले टू-वीलर और थ्री-वीलर पर जबरन पाबंदी वाले रुख की समीक्षा कर रही है। बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर ने नीति आयोग और संबंधित सरकारी मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देकर यह बात कही है। नीति आयोग ने एयर पलूशन और कच्चे तेल का आयात घटाने के लिए सरकार को इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया था। सरकारी थिंक टैंक ने इसके लिए कंबशन इंजन (पेट्रोल-डीजल) वाले सभी तिपहिया को 2023 तक और 150cc तक वाले दोपहिया को 2025 तक बैन करने की वकालत की थी। सभी दोपहिया और तिपहिया कंपनियों ने इसका विरोध किया था। ऑटो इंडस्ट्री को मिली राहतराजीव का कहना है कि उन्होंने रोड ट्रांसपोर्ट, हेवी इंडस्ट्रीज, पब्लिक एंटरप्राइजेज और पावर मिनिस्ट्रीज के साथ-साथ नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की है। उन सबने कहा कि सरकार दोपहिया और तिपहिया गाड़ियों को बैन नहीं करने जा रही है। उन्होंने कहा, ‘सरकार या नीति आयोग का पाबंदी लगाने का इरादा नहीं है। वे चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने का रास्ता तलाश रहे हैं।’ इससे ऑटो इंडस्ट्री को काफी राहत मिली है, जो प्रतिबंध की अटकलों से परेशान थी। उनका कहना था कि प्रस्तावित डेडलाइन काफी कम है। इंडस्ट्री ने बीएस-VI एमिशन नॉर्म्स के हिसाब से गाड़ियां बनाने के लिए भारी निवेश किया है। अगर सरकार इतनी जल्दी गाड़ियों को बैन कर देगी, तो कंपनियां निवेश की लागत वसूल नहीं कर पाएंगी। बीएस-VI एमिशन नॉर्म्स अप्रैल 2020 से प्रभावी हो जाएंगे। नीति आयोग के सुझाव की आलोचना की थीराजीव बजाज और टीवीएस मोटर कंपनी के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन ने नीति आयोग के सुझाव की आलोचना की थी। उनका कहना था कि इस तरह की पहल देश में ऑटो मैन्युफैक्चरिंग को पटरी से उतार देगी। सरकार ने पिछले महीने सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के साथ मीटिंग में इंडस्ट्री से प्रस्तावित पाबंदी के बदले अपनाने के लिए वैकल्पिक रास्ता सुझाने के लिए कहा था। सियाम ने वैकल्पिक रोडमैप का ड्राफ्ट तैयार करने का जिम्मा बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप को दिया है। प्रपोजल इस साल अक्टूबर तक तैयार हो जाएगा। ‘अर्बन सेंटर्स’ को किया जाएगा टारगेटइसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रस्तावित चरणबद्ध ट्रांसमिशन के लिए केवल ‘अर्बन सेंटर्स’ को टारगेट किया जाएगा। हालांकि, अभी ‘अर्बन’ की परिभाषा तय की जानी बाकी है। राजीव ने कहा, ‘अगर अर्बन सेंटर्स में पेट्रोल/डीजल से चलने वाली गाडियों की जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियां ले लेती हैं, तो भी ग्रामीण बिक्री और निर्यात के जरिए हमारा कारोबार व्यवस्थित तरीके से चलता रहेगा। इससे प्रॉडक्शन कपैसिटी भी बनी रहेगी और रोजगार पर भी कोई खतरा नहीं आएगा।’
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